सरिता शांडिल्य (Twitter : @saritashandilya)
हमारे आदिपुरुष राम हैं . हमारे दिल में बसे हैं . राम के लिये हमने कचहरी में मुक़दमा जीतकर मंदिर बनवाया है. राम सरकारें गिरा सकते हैं, सरकारें बना सकते हैं. राम चुनावों में घोषणा-पत्र के एक मुद्दे हैं. राम हमारी रगो में रचे- बसे हैं. हमारी संवेदना के संवेग हैं. उनके बारे में कोई भी बात हमारे लिये इज़्ज़त का मामला है. वह हर बात जो उनकी निश्चित छवि से अलग हो, हमारे दिल और दिमाग़ को ठेस पहुँचाती है. हमें उनके रूप रंग और छवि में कोई परिवर्तन नहीं चाहिए. भगवान के रूप में उनकी निश्चित छवि हमारी श्रद्धा और भक्ति का मामला है. इस छवि में किसी बदलाव से हमारी आस्था आहत होती है.
तब क्यों लोग इससे खिलवाड़ करते हैं ? ठीक है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है. मगर किसी की आस्था की क़ीमत पर नहीं है.
राम या राघव पर बनी , आदिपुरुष ,बॉलीवुड फिल्म है, जो रामायण की कहानी पर बनाई गई है। ओम राउत द्वारा निर्देशित और टी-सीरीज़ फिल्म्स और रेट्रोफाइल्स द्वारा निर्मित, यह फिल्म हिंदी और तेलुगु भाषाओं में एक साथ बनाई गई है. प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान मुख्य पात्र हैं। ₹ 600 करोड़ के बजट की, आदिपुरुष बहुत महंगी फिल्म में है. इस फिल्म की फोटोग्राफी विशेष है. सेट भव्य हैं. विज़ुअल इफ़ेक्ट दर्शनीय हैं. तमाम नये प्रयोग किये गये हैं. जी-जान से बनाई गई यह फ़िल्म 16 जून 2023 को रिलीज़ हुई है, मगर 16 जुलाई के पहले ही फ्लाप हो गई है . यानि एक माह भी नहीं टिक पाई.
आख़िर क्यों?
कोसल के इक्ष्वाकु वंश के राजकुमार राघव- राम, अपनी पत्नी जानकी-सीता और छोटे भाई शेषनाग- लक्ष्मण के साथ जंगल में 14 साल का वनवास काट रहे हैं. सभी के प्रचलित नाम उपयोग नहीं किये गये हैं. हनुमान को भी बजरंगी नाम से पुकारा गया है. मात्र रावण को रावण नाम का संबोधन मिला है. सभी के अप्रचलित नामों से मुझे भी असहज लग रहा है. बाक़ी दर्शकों को क्या लगा पता नहीं.
कहानी की शुरुआत रावण को मिले ब्रम्हा जी के वरदान से होती है. अपनी खलनायकी हँसी से रावण प्रसन्न है. अपनी शक्ति के दम्भ में मदमस्त है. दूसरी तरफ़ राम पंचवटी के जंगलों में नया जीवन यापन कर रहे हैं. सुन्दर सेट मे रमणीक वातावरण है. किंतु रावण की बहन राक्षसी, शूर्पणखा राम लक्ष्मण को लुभाने और सीता की जान लेने की कोशिश करती है. लेकिन असफल प्रयास के बाद, अपनी नाक खो देती है. रावण बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण कर लेता है. राम और लक्ष्मण वानर राजा सुग्रीव, उसके सहयोगी बजरंग-हनुमान और उनकी वानर सेना की मदद से जानकी को मुक्त कराते हैं. रावण का वध करते हैं. सामान्य राम-कथा है.
प्रभास , कृति सैनन और सैफ़ अली खान स्टारर ‘आदिपुरुष’ शुरू में उम्मीदें जगाती है लेकिन तुरंत बाद अति नाटकीय लगती है. आरटीफिशियल इंटेलिजेंस का कमाल ज़्यादा दिखता है. रावण की अपार असीमित शक्तियों के सामने राम बेचारे लगते में. वानर-सेना उपहास का पात्र बन गई है. रावण के रूप में सैफ कमाल कर गये हैं. वैसे भी पूरी फ़िल्म राम की नहीं बल्कि रावण की कहानी लगती है . रावण का महिमा मंडन , राम के शांतचित्त को नेपथ्य में ठेल देता है. हालाँकि रावण के 10 सिरों का चित्रण आकर्षक है. रावण से जुड़ी हर बात भव्य है. राम की कहानी में रावण की भव्यता अन्याय है.
राम की कहानी पर बनी यह फ़िल्म अपने निर्माण, वीएफएक्स और संवादों के हल्केपन के लिए आलोचकों और दर्शकों की आलोचना का शिकार हुई. बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शकों की प्रशंसा नहीं जीत पाई. आदिपुरुष” को इसके विजुअल इफेक्ट्स- वीएफएक्स, स्क्रिप्ट, डिजाइन और निर्देशन के लिए काफी आलोचना मिली है। मेरे लिये नये प्रयोग हमेशा आकर्षक होते हैं. मगर-
- लोगों को इसकी कास्टिंग नहीं अच्छी लग रही है.
- इसके VFX पर सवाल उठाया जा रहा है.
- साथ ही कैरेक्टर्स के लुक्स पसंद नहीं आ रहे.
- डायलॉग्स पर लोगों को सबसे बहुत आपत्ति है.
सबसे ज़्यादा हंगामा हनुमान के संवाद पर है.
- हनुमान लंका में जानकी से मिलते हैं , उन्हें राम की अंगूठी और आश्वासन देते हैं . रावण की सेना उन्हें पकड़ लेती है. मेघनाथ उनकी पूंछ में आग लगाने के बाद पूछता है- “जली” इसके जवाब में हनुमान कहते हैं-
तेल तेरे बाप का. कपड़ा तेरे बाप का. और जलेगी भी तेरे बाप की.
- जब हनुमान लंका से लौटकर आते हैं, तो राघव यानी राम उनसे पूछते हैं, क्या हुआ? इसके जवाब में हनुमान कहते हैं-
बोल दिया, जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे.
- एक जगह राक्षस हनुमान से कहता है-
ये लंका क्या तेरी बुआ का बगीचा है, जो हवा खाने चला आया.
- शेषनाग यानी लक्ष्मण पर वार करते हुए इन्द्रजीत यानि मेघनाद कहता है-
मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.
- रावण राम के लिये कहता है-
‘अयोध्या में तो वो रहता नहीं. रहता तो वो जंगल में है. और जंगल का राजा शेर होता है. तो वो कहां का राजा है रे.
- विभीषण एक सीन में रावण से कहता है-
भैया आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं.
जो भाषा हनुमान या अन्य किरदारों बोल रहे हैं, यह उचित नहीं है. भाषा बहुत सतही है. हिंदू देवता के मुँह से ऐसे संवाद अच्छे नहीं लगते हैं. संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला अपनी पंक्तियों के बचाव में कहते हैं कि हमने इसे सरल बना दिया है. हमने जानबूझकर संवाद सरल किए हैं. क्योंकि फिल्म के सभी किरदार एक ही तरह की भाषा नहीं बोल सकते. इनमें विविधता होनी चाहिए. मगर उनके संवादों को बहुत आलोचना मिली है,
निर्माता लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली पंक्तियों को चिन्हित कर चुके हैं. मगर विवाद के कारण फिल्म के लाभ पर असर हो गया है. अतः निर्माताओं ने विवादास्पद संवादों को हटाने का फैसला किया है. यह निर्णय तनाव कम करने और विवाद को कम करने में क्या मदद करेगा, समय बतायेगा.
कई राजनीतिक संगठन फिल्म से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए संवाद लेखक शुक्ला और आदिपुरुष निर्देशक ओम राउत से सार्वजनिक माफी मांगने को भी कह रहे है। मगर राम की कहानी में रावण प्रमुख रूप से चित्रित है, यह तो कुछ अटपटा सा लगता है.
अंत में, आदिपुरुष एक असाधारण सिनेमाई अनुभव है . इसमें प्रयोगों की भरमार है. सेटों में भव्यता और आधुनिकता है. इसके प्रयोग प्रशंसाओं के हकदार है. कलात्मकता की निगाह से फ़िल्म दृष्टि-सुख है. मगर राम के भक्तों को जाने अनजाने आहत कर दिया तो आलोचना का शिकार तो होना ही था. राम जब सरकारें बना-गिरा सकते हैं तो एक फ़िल्म क्यों नहीं?
किसी की श्रद्धा को आहत करने से बचना चाहिए.
(ग़ज़ल पर पी.एच.डी. लेखिका एक उपन्यासकार,कवियित्री और ज्योतिष की आजीवन विद्यार्थी हैं. 30 वर्षों का व्यवसायिक दुनिया में काम करने का अनुभव रखती हैं.)