भारत के निर्यात क्षेत्र ने कोविड महामारी के कारण बाधित हुई वैश्विक व्यापार को पटरी पर लाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछली कुछ तिमाहियों से भारत का निर्यात निरंतर बढ़ता रहा है
शशि कुमार झा
भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ समय से सुधार के संकेत स्पश्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। इन खुशगवार संकेतों से प्रोत्साहित होकर मूडीज ने भारत की रेटिंग को नकारात्मक से स्थिर में तबदील कर दिया जो डब्ल्यूटीओ ने भी ट्रेड आउटलुक को बढ़ा दिया जिससे निश्चित रूप से भारत के निर्यातों को और बढ़ावा मिलेगा। मूडीज ने विकास अनुमान को वर्तमान वित्त वर्श के लिए संशोधित कर 9.3 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्श के लिए 7.9 प्रतिशत कर दिया। टीकाकरण अभियान में तेजी आने के साथ ही देश की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और मैन्यूफैक्चरिंग में मजबूती दिखाई देने लगी है। कंज्यूमर सेंटीमेट के बेहतर होने से सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही में कंपनियों ने भी भर्ती करने की दर बढ़ा दी है।
जाहिर है अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्रों में एक नई ताजगी दिखने लगी है पर अगर किसी एक क्षेत्र की बात की जाए जिसने कोविड महामारी के कारण बाधित हुई वैश्विक व्यापार को पटरी पर लाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तो निश्चित रूप से भारत के निर्यात क्षेत्र का जबर्दस्त प्रदर्शन रहा है। पिछली कुछ तिमाहियों से भारत का निर्यात निरंतर बढ़ता रहा है। सितंबर महीने में भारत ने 33.44 बिलियन डॉलर के बराबर की वस्तुओं का निर्यात किया जो वर्ष दर वर्ष के मुकाबले 21.35 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-सितंबर की छमाही में 197.11 बिलियन डॉलर के बराबर के निर्यात किए गए जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 57 प्रतिशत अधिक है और सरकार द्वारा निर्धारित 400 बिलियन डॉलर के लक्ष्य का लगभग आधा पहुंच चुका है। बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए, भारत अब निर्यात की विभिन्न श्रेणियों में चीन को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ चुका है। यही नहीं, भारत वर्तमान में लगभग देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करने की जुगत में है जिनके साथ वह बातचीत कर रहा है और ऑस्ट्रेलिया तथा ब्रिटेन सहित छह समझौतों पर जल्द ही इसे अमली जामा भी पहना दिया जाएगा। भारत व्यापार को एक भू-राजनीतिक रणनीति के रूप में तवज्जो देने की जरुरत से भलीभांति वाकिफ है और इसीलिए उसका उच्चतर निर्यात तथा जल्द से व्यापार सौदों को अमल में लाने पर को बढ़ावा देने पर इतना अधिक जोर है जिससे कि जीडीपी में और वृद्धि हो सके।
भारत के निर्यात क्षेत्र के इस चमकदार प्रदर्शन के पीछे जहां निर्यातकों की प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत का हाथ है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उनकी खुद व्यक्तिगत रूप से निर्यात क्षेत्र के प्रति दिखाई गई दिलचस्पी की भी बड़ी भूमिका रही है। अगस्त में प्रधानमंत्री ने खुद इसके लिए पहल की जब उन्होंने भारत के विदेशी मिशनों के प्रमुखों को संबोधित किया तथा उन्हें निर्यातों को बढ़ावा देने की गुजारिश की। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को आकर्षित करने तथा रोजगार का सृजन करने के लिए ही उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों (पीएलआई) जैसे मैन्यूफैक्चरिंग रियायतों की घोषणा की गई है। रोडटेप और आरओएससीटीएल जैसी निर्यातकों के लिए मुफीद योजनाओं को मंजूरी दे दी गई है। आरओएससीटीएल के जरिये गारमेंट निर्यातकों को टैक्स में छूट का लाभ प्राप्त होगा तो रोडटेप सभी निर्यातकों को केंद्रीय, राज्य तथा स्थानीय शुल्कों व करों की वापसी में सक्षम बनाएगी जिन पर उन्हें छूट नहीं दी जा रही थी या जिन्हें अभी तक वापस नहीं किया जा रहा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चालू वित्त वर्ष अर्थात 2021-22 के लिए 400 बिलियन डॉलर के सालाना वस्तु निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है जो पिछले वर्ष के 290 बिलियन डॉलर की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है।
फियो अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल ने कहा कि त्यौहारी मौसम की वजह से उत्साहजनक ऑर्डर बुकिंग स्थिति के कारण निर्यात उच्च वृद्धि मार्ग पर लगातार अग्रसर है। सितंबर, 2021 के लिए मासिक व्यापार डाटा, जो लगातार उच्च वृद्धि के रास्ते पर है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. ए शक्तिवेल ने कहा कि मासिक निर्यात का आंकड़ा 33.44 डॉलर है, जिसमें 21 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली दो अंक की बढोतरी हुई है। लगभग 57 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ 197.11 अमेरिकी डॉलर के अर्धवार्षिक प्रदर्शन से पता चलता है कि हम इस वित्तीय वर्ष के लिए 400 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को अर्जित करने की दिशा में अग्रसर हैं। वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान वस्तु निर्यात में 197 बिलियन डॉलर से आगे निकल जाना इस चुनौतीपूर्ण समय में अपने आप में एक उल्लेखनीय प्रदर्शन है जो एक बार फिर से निर्यातकों की प्रतिबद्धता, समर्पण तथा कड़ी मेहनत को रेखांकित करती है। 2019 एवं 2020 के जुलाई की तुलना में माह के दौरान जिन शीर्ष सेक्टरों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया, उनमें पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग वस्तुएं, रत्न एवं आभूषण तथा जैविक और अजैविक रसायन शामिल थे। कई श्रमोन्मुखी सेक्टर इसमें प्रमुख योगदानकर्ता थे, जो अपने आप में एक अच्छा संकेत हे और इससे देश में रोजगार सृजन में और अधिक सहायता मिलेगी।
पांच वर्षों की अवधि में ईसीजीसी में 4400 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के निर्णय का स्वागत करते हुए डॉ. शक्तिवेल ने कहा कि यह सबसे सामयिक कदम है क्योंकि वैश्विक व्यापार में बढ़ रही अनिश्चितताएं तथा तरलता निर्यातकों को परेशान कर रही हैं और इसकी वजह से डिफ़ॉल्ट बढ़ रहे हैं। 20 गुना लाभ उठाने का अनुपात ईसीजीसी को 88,000 करोड़ रुपये का क्रेडिट बीमा कवर उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। यह ईसीजीसी के तहत निर्यातों के कवरेज को और विस्तारित करेगा जो पहले से ही 28 प्रतिशत है। केंद्रीय मंत्रालयों तथा राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए बड़ी प्रक्रिया चलाई जा रही है तथा इस कार्यवाही का लक्ष्य कानूनों को सरल, गैर-अपराधी बनाना तथा अनावश्यक कानूनों को हटाना है। उन्होंने कहा कि एमएमएफ तथा टेक्निकल टेक्सटाइल्स के लिए पीएलआई स्कीम भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी। अपैरल तथा मेड.अप्स सेक्टरों के लिए आरओएससीटीएल की सहायता की घोषणा का स्वागत करते हुए फियो अध्यक्ष ने कहा कि सही समय पर की गई यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब हम निर्यातों में उछाल तथा निर्यात ऑर्डरों के प्रवाह में तेजी देख रहे हैं। आरओएससीटीएल प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ायेगा, निवेश आकर्षित करेगा, रोजगार को बढ़ावा देगा तथा वैश्विक अपैरल तथा मेड-अप्स सेक्टरों में भारत की हिस्सेदारी में वृद्धि करेगा। यह निर्यातकों को बांग्ला देश, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, श्रीलंका आदि जैसे देशों के साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करने में सहायता करेगी जिन्हें हमारे कई प्रमुख बाजारों में विनिमय दर तथा वरीयतापूर्ण बाजार पहुंच का लाभ प्राप्त है। 31 मार्च, 2024 तक दरों में लंबी स्थिरता इन क्षेत्रों में और अधिक निवेश आकर्षित करेगी क्योंकि विनिर्माता आरओएससीटीएल दरों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय तक के लिए अपने निर्यातों की योजना बना सकते हैं। बढ़ते विनिर्माण तथा निर्यातों से इस क्षेत्र में और अधिक रोजगारों का सृजन होगा जिसमें पहले से ही 20 मिलियन से अधिक रोजगार हैं और महिला कारीगरों की उसमें 60 प्रतिशत भागीदारी है। आरओएससीटीएल देश को कुछ प्रतिस्पर्धी देशों से खो चुके हमारे बाजार को फिर से प्राप्त करने में मदद करेगा तथा वैश्विक अपैरल तथा मेड-अप्स सेक्टरों में व्यापार में हमारी हिस्सेदारी को बढ़ाने का रास्ता प्रशस्त करेगा।
उम्मीद है कि किसानों और कारीगरों को बढ़ावा देने तथा प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ कर निर्यात समावेशी विकास अर्जित करेगा।
(लेखक आर्थिक विषयों के एक जाने माने विशेषज्ञ एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं। पूर्व में वे दैनिक हिंदुस्तान इत्यादि राष्ट्रीय समाचार पत्रों से जुड़े रहे हैं।)